मुस्तफा जाने रहमत
अख्त़रे बुर्जे रीफअत पे लाखों सलाम -@- आफ़ताबे रिसालत पे लाखों सलाम
मुजतबा शाने क़ुदरत पे लाखों सलाम -@- मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम
शमए बज़्मे हिदायत पे लाखों सलाम
जब हुआ ज़वफ़िगन दीनो दुनिया चाँद -@- आया ख़ल्वत से जलवत में असरा का चाँद
निकला जिस वक़्त मसऊदे बतहा का चाँद -@- जिस सुहानी घडी चमका तयबह का चाँद
उस दिल अफरोज़ साअत पे लाखों सलाम
जिस की अज़मत के सदके वाक़ारे हरम -@- जिसकी ज़ुल्फों पे कुरबां बहारे हरम
नौशए बज़्मे परवरदिगारे हरम -@- शेहरे यारे इरम ताजदारे हरम
नौबहारे शफाअत पे लाखों सलाम
जिसके क़दमों पे सजदा करें जानवर -@- मुंह से बोले शजर दे गवाही हजर
वो हे महबूबे रब मालिके बहरोबर -@- साहिबे रजअते शम्स श्क्क़ुल क़मर
नाइबे दस्ते क़ुदरत पे लाखों सलाम
जिसके चेहरे पे जलवों का पहरा रहा -@- नज्मो ताहा के झुरमुट में चेहरा रहा
हुस्न जिसका हरेक शब में गेहरा रहा -@- जिसके माथे शफाअत का सेहरा रहा
उस जबीने सआदत पे लाखों सलाम
पड़ गई जिसपे महशर में बख्शा गया -@- देखा जिस सम्त अब्रे करम छागया
रुख़ जिधर हो गया ज़िन्दगी पा गया -@- जिस तरफ उठ गई दम में दम आ गया
उस निगाहे इनायत पे लाखों सलाम
दीनो दुनिया दिए मालो-ज़र दे दिया -@- हूरो गिल्मा दिए खुल्द कौसर दिया
दामने मक़सदे ज़िन्दगी भर दिया -@- हाथ जिस सम्त उठा ग़नी करदिया
मौजे बेहरे समाअत पे लाखों सलाम
डूबा सूरज किसी ने भी फेरा नहीं -@- कोई मिस्ले यदुल्लाह देखा नहीं
जिसकी ताक़त का कोई ठिकाना नहीं -@- जिसको बारे दो आलम की परवा नहीं
एसे बाज़ू की क़ूवत पे लाखों सलाम
हक़ के मेहरम इमामुत्तुका वन्नुका़ -@- ज़ाते अकरम इमामुत्तुका वन्नुका़
क़ुत्बे आलम इमामुत्तुका वन्नुका़ -@- गौसे आज़म इमामुत्तुका वन्नुका
जल्वए शाने क़ुदरत पे लाखों सलाम
अब्रे जूदो अता किसपे बरसा नहीं -@- तेरा लुत्फो करम किस पे देखा नहीं
किस जगह और कहाँ तेरा क़ब्ज़ा नहीं -@- एक मेरा ही रेहमत में दअवा नहीं
शाह की सारी उम्मत पे लाखों सलाम
मुर्शिदी शाह अहमद रज़ा खां रज़ा -@- फेज़ियाबे कमालाते हस्सां रज़ा
साथ हम सब भी हों ज़म-ज़मां ख्वां रज़ा -@- जबके खिदमत के खुदसी कहें हाँ रज़ा
मुस्तफा जाने रेहमत पे लाखों सलाम
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