Wednesday, February 9, 2011

हज़रत ख़्वाजा सलाम जोएबार नक्शबंदी अलैहिर्रेहमह से मुलाक़ात ओर दस्तारे ख़िलाफ़त

             हज़रत ख़्वाजा दाना अलैहिर्रेहमह बल्ख़ शहर में रोनक़ अफरोज़ थे कि उसी दौरान हज़रत मौलाना मुहम्मद सईद तुर्किस्तानी से मुलाक़ात हुई.आपने फरमाया साहब ज़ादे तुम मादर-ज़ाद वाली हो आओ में तुम्हें एक वली-ए-कामिल सूफी-ए-बासफा से मिल्वादूं.हज़रत मौलाना तुर्किस्तानीने आपको हज़रत ख़्वाजा सलाम नक्शबंदी अलैहिर्रेहमह से मिलवा दिया वह हज़रत ख़्वाजा दाना को देख कर मुस्कुराए ओर फरमाया जमालुद्दीन दाना! कहाँ रह गए थे? मैं तो तुम्हें तलाश कर रहा था क्योंकि तुम्हारे हिस्से की जो नेअमतें मेरे पास बतौरे अमानत रख्खी हुई है. इसको तुम्हारे हवाले करके इत्मिनान का सांस लेसकूं.
           हज़रत ख़्वाजा सलाम नक्शबंदी ने ख़्वाजा दाना पर ख़ुशी से तवज्जुह फरमाई ओर तमाम ज़ाहिर व बातिन नेअमतें अता फरमाने के बअद सिलसिला-ए-नक्शबंदी की ख़िलाफ़त से भी सरफ़राज़ फरमा दिया. (हज़रत ख़्वाजा दाना साहब को हज़रत ख़्वाजा उबैदुल्लाह अहरार नक्शबंदी अलैहिर्रेहमह से भी फैज़े उवैसी हासिल हुआ है.

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