अठारह साल जंगल में गुज़ारने के बाद हज़रत ख़्वाजा दाना साहब शहर बल्ख़ में तशरीफ़ लाए यहाँ आप ने बल्ख़ के मशहूर सूफी हज़रत ख़्वाजा सैयद मुहम्मद पारसा के पोते हज़रत ख़्वाजा अब्दुल हादी के मकान पर क़याम फरमाया.हज़रत ख़्वाजा अब्दुल हादी की बीवी शाहबेगम पूरे ख़ुलूस व मुहब्बत के साथ हज़रत ख़्वाजा दाना साहब की ख़िदमत को अपने लिए बाइसे अज़मत समझते हुए अंजाम देती थीं,खाना अपने हाथ से खिलातीं ओर हर वक़्त हज़रत ख़्वाजा दाना पर नज़रे खुसूसी रखती थीं.जब तक आप उनके यहाँ क़याम पज़ीर रहे किसी भी क़िस्म की कोई तकलीफ आपको नहीं हुई.
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