Sunday, June 12, 2011

ख़ान्क़ाहे नक्शबंदियह जमालियह की तअमीर

     शहंशाहे सुरत हज़रत ख़्वाजा सैयद जमालुद्दीन दाना रहमतुल्लाह अलैह की सुरत आमद के चंद ही रोज़ के बाद शहंशाहे अकबर ने अज़रूए अक़ीदत एक लाख रुपे आप की ख़िदमत में बतौरे नज्र पेश कीया. हज़रत ने ख़ानक़ाह शरीफ की तामीर बड़े खान चकला महोल्ले में शुरू फरमादी दिनभर काम होता ओर रात में आप सब तोड़ देते. मुरीदीन व मो-त-किदीन ओर मज़दूरों ने वजह पुछी तो फरमाया "यह सब इस लिए कर रहा हूँ ताकि देर तक ग़ुरबा व मसाकीन की रोज़ी का ज़रिया क़ाइम रहे". हज़रत ख़्वाजा दाना साहब ने लोगों के लिए रुशदो हिदायत ओर तालीम व तरबियत ज़ाहिरी व बातिनी उलूम के लिए आप को वक्फ़ कर दिया था. साथ ही सिलसि-ल-ए नक्श्बंदियह को फरोग़ देने में एक अहम किरदार अदा फरमाया. गुजरात में आपकी ज़ाते गिरामी से सिलसि-ल-ए नक्श्बंदियह को परवान चढ़ाने में मदद मिली है.

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