क़ुत्बुल-आरिफीन हज़रत ख़्वाजा सैयद जमालुद्दीन दाना नक्शबंदी अलैहिर्रेहमा तुर्किस्तान के एक गाँव जुनूक़ में जो इरान के शहर ख्वारिज़म से चार फर्लांग बारह मील की दूरी पर वाक़े है.हिजरी ८९८ मुताबिक़ ईस्वी १४९२ को पैदा हुए आपके वालिदे गिरामी हज़रत ख़्वाजा सैयद बादशाह पर्दापोश अपने वक़्त के जैयिद सूफी ओर वालिए-कामिल थे.तसव्वुफ़ में अपने वालिदे-गिरामी हज़रत सैयद इस्माईल अलैहिर्रेहमा से जियादा शोहरत पाई ओर रूहानियत में बुलंद मक़ाम हासिल कीया.आप के मुरीदों की तादाद भी अच्छी-ख़ासी थी.दूर दराज़ इलाक़ों से तालिबाने-हक़ ओर तिश्नगाने मआरिफत हज़रत ख़्वाजा बादशाह पर्दापोश के पास आते ओर इल्मो मआरिफत से आसूदः व सेर होकर वापस जाते.फ़रज़न्दे अर्जुमंद हज़रत सैयद जमालुद्दीन दाना की पैदाइश के बाद आप ही ने बच्चे के कान में अजान व इक़ामत पढ़ी ओर नव-मौलूद बच्चे का नाम वालिदैन ने सैयद जमालुद्दीन रख दिया. लेकिन कुछ दिनों के बाद ख़्वाजा बादशाह ने अपनी बीवी से फरमाया हम ने बच्चे का नाम जमालुद्दीन रख तो दिया है मगर मुझे मालूम हुआ कि ये बच्चा अक़लमंद दाना-ए-राज़ ओर इल्मो आगही का पैकर होगा इसलिए इसके नाम के साथ लफ्ज़े दाना का इज़ाफा कर रहा हूँ चुनान्चे इसके बाद ही से ये बच्चा जमालुद्दीन दाना के नाम से याद कीया जाने लगा.हज़रत ख़्वाजा दाना अलैहिर्रेहमा के दादा हज़रत ख़्वाजा सैयद इस्माईल अलैहिर्रेहमा अपने वक़्त के उल्माए किबार ओर अवलिया-ए-आली तबार में शुमार किये जाते थे ओर जुनूक़ में सैयदों के खानदान की सरपरस्ती आपको हासिल थी आप की वालिदा माजिदा भी एक नेक खातून थीं ओर शेह्ज़ादी-ज़ादी थीं. हज़रत ख़्वाजा दाना अलैहिर्रेहमा का ख़ानदान इतना मुक्त़दिर था कि चुग़ताई बादशाह सुल्तान हुसैन मिर्ज़ा, इब्राहीम हुसैन मिर्ज़ा, शैख़ मिर्ज़ा वगैरह ने अज़-रूए अक़ीदत अपनी बेटियाँ इस ख़ानदान में बियाही थीं.
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